इस साल मानसून की बरसात उत्तराखण्ड के लिए आफत की बरसात साबित हो रही है। उत्तराखण्ड में लगातार होती इस बारिश में वहाँ रहने वालों लोगों को अस्त – व्यस्त करके रख दिया है।
यदि मौसम के वैज्ञानिकों की मानी जाए तो धड़ल्ले से हो रहा पहाड़ों का विकास इस आपदा के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार है।
जिस तरह विकास के नाम पर पहाड़ी क्षेत्रों की सड़कों को और चौड़ा करने के लिए लगातार पहाड़ काटे जा रहे हैं, बड़े – बड़े projects के नाम पर पेड़ों की कटाई की जा रही है, उससे इन पर्वतीय इलाकों के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है।
उत्तराखण्ड की 5 बड़ी आपदाएँ
- नैनीताल आपदा (सितम्बर 1880) : नैनीताल के मल्लीताल नामक स्थान पर एक पहाड़ के गिरने से लगभग 151 लोग ज़िन्दा दफन हो गए थे, इन लोगों में 43 ब्रिटिश और 108 भारतीय नागरिक शामिल थे।
- उत्तरकाशी भूकम्प (अक्तूबर 1991) : लगभग 6.8 richter scale पर आए इस भूकम्प ने पूरे देश को कंपकंपा दिया था तथा उत्तरकाशी नामक ज़िला तबाह हो गया था। According to official data लगभग 768 लोग इस भूकम्प में मारे गए थे।
- पिथौरागढ़ मालपा आपदा (अगस्त 1998) : पिथौरागढ़ ज़िले का मालपा नामक स्थान जोकि उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में स्थित है, वहाँ पर एक पहाड़ी के दरक जाने से पूरा मालपा गाँव भूस्खलन की चपेट में आ गया था, जहाँ लगभग 255 लोग मलबे के नीचे दब गए थे।
- चमोली भूकम्प (1999) : चमोली नामक स्थान पर लगभग 6.8 richter scale पर भूकंप आया था, जिसमें वहाँ की सड़कें फट गई थीं तथा लगभग 100 लोगों की मौत हो गई थी।
- केदारनाथ आपदा (2013) : उत्तराखण्ड की सबसे ख़तरनाक आपदाओं में से एक केदारनाथ आपदा, 16 जून 2013 को आई थी। इसमें हज़ारों की संख्या में घर इस बाढ़ का शिकार हुए थे तथा इस आपदा ने लाखों लोगों की जान ले ली थी।