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Kerala Name Change : अब केरल का नाम बदलने की हो रही है तैयारी!!! जानें नाम बदलने की वजह और कितना आएगा खर्च

Kerala Name Change : अब केरल का नाम बदलने की हो रही है तैयारी!!! जानें नाम बदलने की वजह और कितना आएगा खर्च

आजकल राज्यों व शहरों के नाम बदलना काफ़ी trend में हैं। जैसे : ‘इलाहबाद’ का नाम बदल कर ‘प्रयागराज’ कर दिया गया है, ‘होशंगाबाद’ का नाम बदल कर ‘नर्मदापुरम’ कर दिया गया है आदि। सूत्रों से पता चला है कि अब केरल राज्य के नाम को बदले जाने की ज़ोरो – शोरों से तैयारियाँ की जा रही हैं।

क्यों बदला जा रहा है नाम?

केरल सरकार आज़ादी के लगभग 67 साल बाद भाषा के आधार पर इस राज्य का नाम बदलकर ‘केरल’ से ‘केरलम’ करने जा रही है। Opposition की रज़ामन्दी के साथ 9 अगस्त को यह प्रस्ताव भी पास हो चुका है।

कैसे पड़ा था 'केरल' नाम?

साल 1920 में Indian National Congress की एक बैठक में यह प्रस्ताव पास हुआ था कि यह नया राज्य क्षेत्रीयता की जगह भाषा के आधार पर बनाया जाएगा और यहीं से 1st time केरल नाम की बुनियाद रखी गई।

फिर इस क्षेत्र में रहने वाले मलयाली बोलने वाले लोगों ने आंदोलन ऐक्य (United) Kerala Movement के नाम से एक आंदोलन चलाया, मालाबार, त्रावणकोर तथा कोच्चि में रहने वाले मलयाली लोगों के लिए एक भिन्न राज्य बनाना इस आंदोलन का असली मकसद था।

डेक्कन हेराल्ड की report के according, 1 जुलाई 1949 को कोचीन तथा त्रावणकोर की दो पूर्ववर्ती रियासतों को मिलाकर संयुक्त राज्य त्रावणकोर तथा कोचीन बनाया गया था। फिर अगले वर्ष जनवरी में इसका नाम बदलकर त्रावणकोर – कोचीन राज्य कर दिया।

वहीं अगर ब्रिटानिका की मानी जाए तो साल 1956 में, दक्षिण कनारा के कासरगोड तालुका तथा मद्रास राज्य के मालाबार तट को त्रावणकोर – कोचीन में जोड़कर केरल राज्य बनाया गया था।

कोच्ची तथा त्रावणकोर बनने से बहुत से ऐसे लोग थे जो खुश नहीं थे। लगभग 30 साल तक मलयाली भाषा के लोगों के लिए एक अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन चलाया गया था। आखिरकार 1956 में भाषा के आधार पर एक अलग राज्य की स्थापना हुई, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है।

क्या पड़ेगा असर?

आजादी के करीब 9 साल बाद 1 नवम्बर 1956 में ‘भाषा’ के आधार पर अलग राज्य बनाया गया था, जिसका नाम था केरल। केरल जिसे ‘God’s own country’ भी कहा जाता है, Constitution की first schedule के तहत इसका नाम केरल register किया गया था।

केरल की assembly ने सर्वसम्मति से Central government से संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत सभी official languages में राज्य का official नाम बदलकर ‘केरलम’ करने के लिए amendment करने का अनुरोध किया है।

नाम बदलने का खर्च कितना?

यदि किसी राज्य का नाम बदला जाता है तो पहले state government फिर Central government की permission के बाद देश के सभी government offices के कागजात यानी documents में उस राज्य का नाम बदलना पड़ता है।

इसके साथ Highway, railway station से लेकर आम आदमी की सहूलियत से जुड़े हर office तथा शहर के हर sign board में पुराना नाम बदलकर नया नाम लिखा जाता है। इन सभी बदलावों को करने में लगभग 1000 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं।

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