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हरियाली तीज 2023 : हरियाली तीज की पूजा इन चीज़ों के बिना है अधूरी, जानें क्या है यह सामग्री

हरियाली तीज 2023 : हरियाली तीज की पूजा इन चीज़ों के बिना है अधूरी, जानें क्या है यह सामग्री

भारतीय परम्परा में हरियाली तीज त्यौहार का बहुत महत्त्व है और ख़ासकर सुहागिनों के लिए इस हरियाली तीज का व्रत बहुत विशेष होता है। अपने सुहाग की उन्नति, रक्षा तथा खुशहाली के लिए इस दिन भारतीय महिलाएँ निर्जला व्रत रखकर शिव जी तथा पार्वती माता की पूजा करती हैं।

इसी दिन माता पार्वती द्वारा की गई कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने गौरी माता के 108वें जन्म के बाद उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। ऐसी मान्यता है कि यदि इस दिन विधि – विधान से पूजा – व्रत किया जाए तो आपकी हर मनोकामना पूरी होगी।

इस साल 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज का व्रत रखा जाएगा, यदि आप भी इस व्रत को रखकर भगवान शिव एवं माता पार्वती का आशीर्वाद लेना चाहती हैं तो आपको इस पूजा की सम्पूर्ण सामग्री का पता होना चाहिए।

हरियाली तीज 2023 मुहूर्त

सावन शुक्ल की हरियाली तृतीया तिथि 18 अगस्त 2023 को रात 08 : 01 शुरू बजे शुरू होगी तथा इसकी समाप्ति की तिथि 19 अगस्त 2023 को रात 10 : 19 है जबकि इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 : 47 से लेकर सुबह 09 : 22 तक का होगा।

हरियाली तीज पूजा सामग्री

गंगाजल     पूजा की चौकी     तांबे / पीतल का कलश
दूध           दही                    घी
शहद        शक्कर                पान
सुपारी       जनेऊ                 कपूर
चंदन         मौली                  इत्र
गुलाल     अक्षत                    धूप
दीपक     शमी का पत्ता        धतूरा
हल्दी      भांग                     भस्म
5 प्रकार के फल मिठाई 5 पल्लव
दक्षिणा व्रत की पुस्तक

हरियाली तीज व्रत कथा

सनातन धर्म की एक पौराणिक कथा के मुताबिक, माता सती ने हिमालय के एक राजा के घर माता पार्वती जी के रूप में पुनर्जन्म लिया। फिर भगवान शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने का पार्वती माता ने प्रण लिया था।

विवाह योग्य होने पर उनके पिता जी पार्वती माता के लिए एक उचित वर की तलाश करने लगे। उन्होंने विष्णु जी को सुयोग्य वर के रूप में चुना लेकिन माता पार्वती जी उनके इस फैसले से चिंतित हो गईं क्योंकि उन्होंने तो भगवान शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने का प्रण लिया था।

माता पार्वती जी एकांत जंगल में जाकर तपस्या करने लगीं तथा भूखे – प्यासे रोजाना शिव जी की पूजा शुरू कर दी। फिर सालों तक कठोर तप करने के बाद उन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए।

भगवान शिव जी ने हरियाली तीज के दिन ही माता पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था। इसके बाद उन दोनों का विवाह रचाया गया था।

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